Cheque Bounce Ho Gaya? Jail Hogi Ya Fine? जानिए भारत में चेक बाउंस होने पर क्या होता है

What Happens If a Cheque Bounces in India? Jail or Fine? | Cheque Bounce Ho Gaya? Jail Hogi Ya Fine? यह सवाल हर उस व्यक्ति के मन में आता है जिसने कभी न कभी चेक से लेन-देन किया हो। आज के समय में डिजिटल पेमेंट के बढ़ते ट्रेंड के बावजूद चेक का उपयोग व्यावसायिक और व्यक्तिगत लेन-देन में जारी है। पर अगर यह चेक बाउंस हो जाए तो इसका असर न सिर्फ आपके पैसों पर पड़ता है बल्कि आपके कानूनी रिकॉर्ड पर भी इसका गहरा असर हो सकता है।

इस ब्लॉग में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि चेक बाउंस क्या होता है, इसके कारण क्या हो सकते हैं, इससे जुड़ा कानून क्या कहता है, और अगर किसी का चेक बाउंस हो जाए तो क्या उसे जेल जाना पड़ सकता है या सिर्फ जुर्माना देना होगा। साथ ही हम यह भी बताएंगे कि इससे कैसे बचा जा सकता है।

चेक बाउंस क्या होता है?

जब कोई व्यक्ति आपको चेक देता है और आप उसे बैंक में जमा करते हैं, लेकिन वह अस्वीकृत (Dishonoured) हो जाता है, तो इसे हम ‘Cheque Bounce’ कहते हैं। इसका मतलब है कि बैंक उस चेक की राशि का भुगतान नहीं कर पाया।

मुख्य कारण जिनसे चेक बाउंस हो सकता है:

  1. खाते में पर्याप्त पैसे नहीं होना।
  2. सिग्नेचर मेल न खाना या सिग्नेचर गायब होना।
  3. चेक पर ओवरराइटिंग या कटिंग होना।
  4. खाता बंद हो चुका हो और चेक जारी कर दिया गया हो।
  5. चेक पर गलत या अस्पष्ट जानकारी भरी हो।

बैंक जब चेक रिजेक्ट करता है, तो वह एक “Cheque Return Memo” जारी करता है जिसमें बाउंस होने का कारण स्पष्ट किया गया होता है।

चेक बाउंस: एक सिविल नहीं, क्रिमिनल अपराध भी

बहुत से लोगों को यह भ्रम होता है कि चेक बाउंस केवल एक फाइनेंशियल गलती है। लेकिन भारत के कानून के तहत यह एक दंडनीय अपराध है।

यह अपराध धारा 138, नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 के अंतर्गत आता है।

अगर कोई चेक बाउंस होता है, तो उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जा सकता है।

लीगल प्रक्रिया: जब चेक बाउंस हो जाए

चलिए अब जानते हैं कि जब आपका या किसी और का चेक बाउंस हो जाए तो कानूनी प्रक्रिया क्या है।

चरण 1: लीगल नोटिस भेजना

अगर किसी का चेक बाउंस हो जाता है, तो सबसे पहले आपको उसे 30 दिनों के अंदर लीगल नोटिस भेजना होता है। इस नोटिस में स्पष्ट रूप से बताना होता है कि:

  • चेक कितनी राशि का था,
  • कब और किस खाते में जमा किया गया,
  • कब बाउंस हुआ,
  • और सामने वाले को 15 दिनों की अवधि दी जाती है पैसे लौटाने के लिए।

चरण 2: शिकायत दर्ज करना

अगर 15 दिन में भी पैसा नहीं मिलता है, तो उसके बाद आपको अगले 30 दिनों के अंदर कोर्ट में शिकायत दर्ज करनी होती है। यानी पूरे प्रोसेस के लिए आपको 75 दिन का समय मिलता है।

सजा क्या हो सकती है?

अगर कोर्ट में शिकायत दर्ज होती है और दोष सिद्ध हो जाता है, तो आरोपी को निम्नलिखित सजा हो सकती है:

  • 2 साल तक की जेल,
  • या चेक राशि का दोगुना जुर्माना,
  • या दोनों

अक्सर कोर्ट दोनों सजा एक साथ देता है। यानी आरोपी को या तो जेल जाना पड़ेगा या फिर जुर्माना भरना पड़ेगा, या दोनों।

चेक बाउंस से बचने के उपाय

चेक जारी करने वालों के लिए:

  1. अपने खाते में हमेशा चेक से अधिक राशि बनाए रखें।
  2. सिग्नेचर स्पष्ट करें और बिना ध्यान दिए कभी भी चेक साइन न करें।
  3. किसी को फ्यूचर डेट का चेक देने से पहले अच्छी तरह सोचें।
  4. अगर खाता बंद कर रहे हैं तो पुरानी चेकबुक को नष्ट कर दें।

चेक प्राप्त करने वालों के लिए:

  1. चेक की तारीख चेक करें और 90 दिनों के भीतर बैंक में जमा करें।
  2. अगर चेक बाउंस होता है तो 30 दिनों के अंदर नोटिस भेजें।
  3. सभी संबंधित दस्तावेजों की कॉपी सुरक्षित रखें।

क्या सिविल केस भी बनता है?

हाँ, चेक बाउंस होने की स्थिति में आप न केवल आपराधिक (क्रिमिनल) केस दर्ज कर सकते हैं बल्कि सिविल मुकदमा भी ठोक सकते हैं। यानी आप यह दावा भी कर सकते हैं कि आपको मानसिक व आर्थिक क्षति हुई है और आप हर्जाना चाहते हैं।

क्या बैंक भी पेनल्टी लगाता है?

जी हाँ, अगर आपका चेक बाउंस होता है तो बैंक भी आपसे चार्ज वसूलता है। यह चार्ज हर बैंक में अलग-अलग होता है और ₹200 से ₹500 या उससे अधिक तक हो सकता है। कई बार अगर बार-बार ऐसा होता है तो बैंक आपकी क्रेडिट हिस्ट्री पर नेगेटिव इफेक्ट डाल सकता है।

व्यापारियों और कंपनियों के लिए विशेष ध्यान देने योग्य बातें

अगर आप एक बिजनेस चला रहे हैं और चेक से लेन-देन कर रहे हैं, तो आपको और भी सावधान रहने की ज़रूरत है। खासकर अगर आपने किसी क्लाइंट से एडवांस पेमेंट या पोस्ट डेटेड चेक लिया है, तो यह जानना जरूरी है कि:

  • चेक बाउंस होने की स्थिति में आपका पूरा कारोबार प्रभावित हो सकता है।
  • लंबे समय तक केस चल सकता है।
  • कानूनी खर्च भी बढ़ सकता है।

इसलिए बेहतर है कि आप चेक लेते समय उसकी वैधता, हस्ताक्षर, और अकाउंट स्टेटस की जानकारी अच्छे से जांच लें।

क्या चेक बाउंस होने से आपका CIBIL स्कोर भी खराब होता है?

सामान्यतः चेक बाउंस सीधे तौर पर CIBIL स्कोर को प्रभावित नहीं करता। लेकिन अगर इससे संबंधित कोई लोन या क्रेडिट कार्ड भुगतान बाउंस हुआ है, और मामला कोर्ट तक पहुंच गया है तो इससे आपकी क्रेडिट प्रोफाइल पर बुरा असर पड़ सकता है।

चेक बाउंस और धोखाधड़ी में अंतर

अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर ऐसा चेक देता है जिसके बारे में वह जानता है कि वह क्लियर नहीं होगा, तो यह धोखाधड़ी (Fraud) के अंतर्गत भी आ सकता है। ऐसे मामलों में IPC की धाराएं लग सकती हैं और आरोपी को सख्त सजा भी हो सकती है।

निष्कर्ष: Cheque Bounce Ho Gaya? Jail Hogi Ya Fine?

चेक बाउंस एक गंभीर कानूनी मामला है और इसे हल्के में लेना भारी पड़ सकता है। इस लेख के माध्यम से हमने आपको बताया कि:

  • चेक बाउंस क्या है और इसके क्या कारण होते हैं,
  • क्या यह एक क्रिमिनल ऑफेंस है,
  • कानूनी प्रक्रिया क्या है,
  • सजा क्या मिल सकती है,
  • और कैसे इससे बचा जा सकता है।

इसलिए अगली बार जब आप किसी को चेक दें या किसी से लें, तो यह सोच समझकर करें। एक छोटी सी गलती बड़े मुकदमे में बदल सकती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 1: चेक बाउंस होने पर कितने दिन के अंदर नोटिस भेजा जा सकता है?
उत्तर: चेक बाउंस की तारीख से 30 दिनों के भीतर लीगल नोटिस भेजना अनिवार्य है।

प्रश्न 2: क्या आरोपी को जेल हो सकती है?
उत्तर: हाँ, दोष सिद्ध होने पर आरोपी को 2 साल तक की सजा हो सकती है।

प्रश्न 3: क्या यह अपराध जमानती है?
उत्तर: यह अपराध जमानती है लेकिन कोर्ट की प्रक्रिया में समय और पैसा दोनों लगता है।

प्रश्न 4: चेक बाउंस होने से कैसे बचें?
उत्तर: खाते में पर्याप्त धनराशि रखें, सिग्नेचर स्पष्ट करें और चेक की वैधता पर ध्यान दें।

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