क्या आप सोने में सही तरीके से निवेश कर रहे हैं? | Are You INVESTING in GOLD the RIGHT Way?

वर्तमान समय में सोने की कीमतें नई ऊंचाइयों पर पहुँच चुकी हैं। अब 10 ग्राम सोने की कीमत ₹1 लाख से अधिक हो चुकी है, यानी 1 किलो सोना ₹1 करोड़ के आसपास पहुंच चुका है। इस तेजी के बाद बहुत से निवेशक यह सवाल कर रहे हैं – क्या अभी सोना खरीदना सही रहेगा? या फिर कीमतें गिरने का इंतजार करना चाहिए?

बहुत से लोग इस चर्चा में उलझे हुए हैं, लेकिन वे बड़ी तस्वीर को नजरअंदाज कर रहे हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि क्यों सोना हमेशा एक जरूरी निवेश बना रहता है, और Are You INVESTING in GOLD the RIGHT Way? इस सवाल का सटीक जवाब देने की कोशिश करेंगे।

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सोना – सिर्फ आभूषण नहीं, एक स्थायी निवेश

भारत में पारंपरिक रूप से सोना एक आभूषण के रूप में देखा जाता रहा है, लेकिन अब यह एक महत्वपूर्ण वित्तीय एसेट क्लास बन चुका है। वैश्विक अनिश्चितता, आर्थिक संकट, महंगाई और मुद्रा के अवमूल्यन के समय में सोना एक सुरक्षित निवेश विकल्प साबित होता है।

55 वर्षों में 13.3% सालाना रिटर्न!

Capitalmind द्वारा किए गए एक विस्तृत विश्लेषण के अनुसार, पिछले 55 वर्षों (1970-2025) में भारत में सोने ने औसतन 13.3% प्रति वर्ष का रिटर्न दिया है (INR में)। यह आंकड़ा दर्शाता है कि सोना एक लंबी अवधि का भरोसेमंद निवेश रहा है।

इस तुलना में भारत का प्रमुख इक्विटी इंडेक्स Nifty 50 औसतन 12-13% सालाना रिटर्न देता है। यानी सोने का प्रदर्शन भारत की टॉप कंपनियों के औसत रिटर्न के लगभग बराबर रहा है, वह भी बिना किसी कंपनी के डिफॉल्ट रिस्क या बिज़नेस रिस्क के।

पोर्टफोलियो में सोने की भूमिका

अब सवाल यह उठता है कि यदि सोने और निफ्टी का रिटर्न लगभग बराबर है, तो किसमें निवेश करना चाहिए? जवाब है – दोनों में बैलेंस बनाए रखना ही समझदारी है।

50-50 पोर्टफोलियो का कमाल

Capitalmind के शोध में पाया गया कि यदि कोई निवेशक 2007 से 2025 तक 50% Nifty और 50% Gold के पोर्टफोलियो में निवेश करता, तो उसका सालाना रिटर्न होता 12.3%। सबसे बड़ी बात, इस पोर्टफोलियो का अधिकतम ड्रॉडाउन रहा -34%, जबकि अकेले Nifty में यह -59% तक चला गया था।

उदाहरण के तौर पर, मार्च 2020 की कोविड-19 महामारी के समय जब स्टॉक मार्केट में भारी गिरावट (38.1%) आई, तब सोना 14% ऊपर गया। इससे स्पष्ट होता है कि सोना कठिन समय में पोर्टफोलियो को स्थिर रखने में मदद करता है।

ज्वेलरी में निवेश क्यों नहीं?

जब बात सोने में निवेश की आती है, तो सबसे पहले लोगों के दिमाग में ज्वेलरी खरीदना आता है। लेकिन असल में ज्वेलरी में निवेश करना अर्थपूर्ण नहीं है:

  • मेकिंग चार्जेज़ और GST के कारण निवेश का मूल्य घटता है।
  • सुरक्षा और स्टोरेज की समस्या होती है।
  • रीसेल वैल्यू कम होती है।

इसलिए यदि आप सही मायनों में सोने में निवेश करना चाहते हैं, तो डिजिटल विकल्प बेहतर हैं।

SGBs – सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स: क्या अब विकल्प नहीं?

पहले सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGBs) को सोने में निवेश का सबसे अच्छा तरीका माना जाता था। यह न सिर्फ सोने के दाम के साथ जुड़ा होता है, बल्कि उस पर 2.5% सालाना ब्याज भी मिलता है। साथ ही, मैच्योरिटी पर कैपिटल गेन टैक्स भी नहीं लगता।

लेकिन 2025 में अब SGBs का प्राइमरी इश्यू आना बंद हो गया है, और सेकेंडरी मार्केट में उपलब्ध बॉन्ड्स की लिक्विडिटी बहुत कम होती जा रही है।

तो अब निवेशकों के पास क्या विकल्प बचे हैं?

सोने में निवेश के डिजिटल विकल्प

सोने में निवेश के लिए अब दो मुख्य डिजिटल विकल्प हैं:

1. Gold ETFs (गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स)

  • ये फंड्स स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होते हैं।
  • इनके पीछे फिजिकल गोल्ड रिज़र्व में होता है।
  • 1 यूनिट = 1 ग्राम गोल्ड।
  • डेसिमल में भी खरीदा जा सकता है (जैसे 0.5 ग्राम)।
  • रियल टाइम में ट्रेड किया जा सकता है।

2. Gold Mutual Funds

  • ये म्यूचुअल फंड्स होते हैं जो Gold ETFs में ही निवेश करते हैं।
  • सीधे गोल्ड नहीं खरीदते।
  • NAV (नेट एसेट वैल्यू) के आधार पर ट्रेड होते हैं – दिन में एक बार।
  • एक्स्ट्रा मैनेजमेंट लेयर होने से खर्च थोड़ा ज़्यादा होता है।

ETF बनाम म्यूचुअल फंड: कौन बेहतर?

विशेषताGold ETFGold Mutual Fund
खरीद-बिक्रीरियल टाइमदिन के अंत में NAV पर
प्लेटफॉर्मDemat Account जरूरीSIP और लम्पसम दोनों विकल्प
लागतकम एक्सपेंस रेशियोथोड़ा ज़्यादा खर्च
लिक्विडिटीहाई (मार्केट आधारित)मॉडरेट
लॉन्ग टर्म मेंटैक्स एफिशिएंटनियमित निवेशक के लिए आसान

मेरी व्यक्तिगत सलाह:

यदि आपके पास Demat Account है और आप ट्रेडिंग की समझ रखते हैं, तो Gold ETFs बेहतर हैं। लेकिन अगर आप हर महीने SIP के जरिए निवेश करना चाहते हैं और लॉन्ग टर्म निवेशक हैं, तो Gold Mutual Funds आपके लिए सुविधाजनक होंगे।

क्या डिजिटल गोल्ड सही विकल्प है?

डिजिटल गोल्ड (जैसे PhonePe, Paytm आदि पर उपलब्ध) एक नया तरीका है सोने में निवेश का। लेकिन इसमें कुछ जोखिम भी हैं:

  • ये निवेश नियामकीय रूप से Mutual Funds या ETFs की तरह रेगुलेटेड नहीं होते।
  • स्टोरेज पर अतिरिक्त शुल्क लग सकता है।
  • लंबे समय तक रखने पर टैक्स और लागत अधिक हो सकती है।

इसलिए यदि आप डिजिटल माध्यम से निवेश करना चाहते हैं, तो बेहतर रहेगा कि आप SEBI-रेगुलेटेड ETFs या Mutual Funds का ही चयन करें।

टैक्सेशन का क्या फर्क पड़ता है?

सोने में निवेश करते समय टैक्सेशन को समझना बहुत ज़रूरी है।

Gold ETFs और Mutual Funds:

  • 3 साल से कम: शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन – आपकी टैक्स स्लैब के अनुसार।
  • 3 साल से अधिक: लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन – 20% टैक्स + इंडेक्सेशन बेनिफिट।

SGBs:

  • ब्याज पर टैक्स लगता है।
  • लेकिन मैच्योरिटी पर मिलने वाला कैपिटल गेन पूरी तरह टैक्स फ्री होता है।

निष्कर्ष: Are You INVESTING in GOLD the RIGHT Way?

अब तक आपने समझा कि सोना केवल एक परंपरागत वस्तु नहीं, बल्कि एक मजबूत और स्थिर निवेश विकल्प भी है। यदि आप आज के आर्थिक वातावरण में अपने निवेश पोर्टफोलियो को स्थिर रखना चाहते हैं, तो सोना उसमें आवश्यक तत्व हो सकता है।

सही तरीका क्या है?

  • ज्वेलरी में नहीं – डिजिटल माध्यम चुनें।
  • डिजिटल गोल्ड से बचें – SEBI-रेगुलेटेड फंड्स चुनें।
  • SGBs नहीं मिल रहे तो ETFs या Mutual Funds बेहतर विकल्प हैं।
  • अपनी निवेश शैली के अनुसार चुनें – ट्रेडिंग फ्रेंडली हैं तो ETF, नियमित निवेशक हैं तो Mutual Fund।

अंतिम सुझाव

सोना कोई ऐसा निवेश नहीं है जिसमें आप अचानक अमीर बन सकते हैं, लेकिन यह वेल्थ प्रिजर्वेशन का मजबूत साधन है। जब स्टॉक मार्केट गिरता है, तब सोना आपकी पूंजी को बचाता है।

इसलिए आज जब सोने की कीमतें ऊंची हैं, तब भी यह जरूरी नहीं कि आप पूरे पैसे से एकमुश्त निवेश करें। आप SIP के माध्यम से हर महीने थोड़ी राशि गोल्ड ETFs या गोल्ड Mutual Funds में निवेश करें – यह रणनीति आपको औसत मूल्य का लाभ देगी और जोखिम भी कम करेगी।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

Q1: क्या अभी सोना खरीदना सही है?

उत्तर: हां, लेकिन एकमुश्त नहीं। SIP या पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन के तहत खरीदें।

Q2: गोल्ड ETF और गोल्ड Mutual Fund में क्या अंतर है?

उत्तर: ETF रियल टाइम ट्रेड होता है, जबकि Mutual Fund NAV पर; Mutual Fund में SIP संभव है।

Q3: क्या डिजिटल गोल्ड सुरक्षित है?

उत्तर: रेगुलेशन की कमी और स्टोरेज फीस के कारण यह तुलनात्मक रूप से जोखिमपूर्ण हो सकता है।

Q4: कितने प्रतिशत पोर्टफोलियो गोल्ड में होना चाहिए?

उत्तर: सामान्यतः 10-15% गोल्ड में होना पोर्टफोलियो के लिए उपयुक्त माना जाता है।

निष्कर्ष में एक बार फिर पूछें: Are You INVESTING in GOLD the RIGHT Way?

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