आज की महंगाई भरी जिंदगी में हेल्थ इंश्योरेंस किसी सुरक्षा कवच से कम नहीं है। अस्पताल का एक छोटा सा इलाज भी हजारों, लाखों रुपए का बिल थमा सकता है। ऐसे में स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) आपको आर्थिक बोझ से बचाता है। लेकिन अगर आपने क्लेम किया और वह रिजेक्ट (Reject) हो गया तो? यही वह स्थिति है जिससे हर किसी को डर लगता है।
आइए इस लेख में विस्तार से समझते हैं कि हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट होने के कारण क्या-क्या होते हैं और कैसे थोड़ी सी समझदारी और तैयारी से आप इस परेशानी से बच सकते हैं।
Contents
- 1 1. पहले से मौजूद बीमारियों की जानकारी छुपाना (Pre-existing Diseases)
- 2 2. पॉलिसी की शर्तें ध्यान से न पढ़ना
- 3 3. पॉलिसी समय पर रिन्यू न कराना
- 4 4. क्लेम के समय अधूरे या गलत दस्तावेज देना
- 5 5. इलाज पॉलिसी के अंतर्गत कवर न होना
- 6 6. कैशलेस क्लेम में प्री-अप्रूवल न लेना
- 7 7. गलत जानकारी देना या धोखाधड़ी की कोशिश
- 8 8. नेटवर्क अस्पताल से इलाज न कराना
- 9 हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट होने के बाद क्या करें?
- 10 हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय किन बातों का रखें ध्यान?
- 11 निष्कर्ष: सतर्कता ही सुरक्षा है
1. पहले से मौजूद बीमारियों की जानकारी छुपाना (Pre-existing Diseases)
समस्या:
बहुत सारे लोग हेल्थ पॉलिसी खरीदते समय डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, अस्थमा, थायरॉयड, हार्ट डिजीज जैसी बीमारियों की जानकारी नहीं देते। वे सोचते हैं कि इससे उनका प्रीमियम बढ़ जाएगा या क्लेम अस्वीकार हो सकता है।
नतीजा:
बीमा कंपनी इसे ‘Material Non-Disclosure’ मानती है और जब क्लेम किया जाता है, तो उसे रिजेक्ट कर देती है।
समाधान:
- पॉलिसी खरीदते समय पूरी मेडिकल हिस्ट्री ईमानदारी से बताएं।
- जो भी छोटी-मोटी बीमारी हो, उसे भी न छुपाएं।
- मेडिकल चेकअप के रिकॉर्ड तैयार रखें।
2. पॉलिसी की शर्तें ध्यान से न पढ़ना
समस्या:
अधिकतर लोग पॉलिसी लेते समय सिर्फ प्रीमियम और कवरेज राशि देखते हैं। वे यह नहीं पढ़ते कि पॉलिसी में क्या-क्या कवर है और क्या नहीं।
उदाहरण:
- हर्निया, कैटरैक्ट, टॉन्सिल आदि के लिए अक्सर 1-2 साल का वेटिंग पीरियड होता है।
- कॉस्मेटिक सर्जरी, डेंटल इलाज, IVF आदि अधिकतर पॉलिसियों में कवर नहीं होते।
समाधान:
- Inclusions और Exclusions की सूची अच्छे से पढ़ें।
- एजेंट या कंपनी से सवाल पूछने में संकोच न करें।
- ट्रीटमेंट लेने से पहले यह सुनिश्चित करें कि वह आपकी पॉलिसी में कवर है या नहीं।
3. पॉलिसी समय पर रिन्यू न कराना
समस्या:
अगर आप समय पर प्रीमियम जमा नहीं करते, तो आपकी पॉलिसी लैप्स हो जाती है। ऐसे में अगर बीमा अवधि खत्म हो चुकी है, तो क्लेम का कोई अधिकार नहीं रह जाता।
समाधान:
- ऑटो-डेबिट या ऑटो-पे सेट करें।
- रिन्यूअल रिमाइंडर SMS या ऐप से लगाएं।
- रिन्यूअल डेट से पहले कम से कम 1 हफ्ते पहले प्रीमियम भर दें।
4. क्लेम के समय अधूरे या गलत दस्तावेज देना
समस्या:
कई बार लोग अस्पताल के बिल, रिपोर्ट, प्रिस्क्रिप्शन, डिस्चार्ज समरी आदि को सही से जमा नहीं करते। इससे क्लेम प्रोसेस अधूरा रह जाता है।
समाधान:
- सभी मेडिकल रिपोर्ट और बिल को व्यवस्थित रखें।
- डिजिटल और हार्डकॉपी दोनों फॉर्मेट में फाइल रखें।
- कंपनी द्वारा मांगे गए सभी डॉक्युमेंट समय पर और सही फॉर्मेट में जमा करें।
5. इलाज पॉलिसी के अंतर्गत कवर न होना
उदाहरण:
- कुछ बीमाओं में OPD खर्च, एक्सपेरिमेंटल इलाज या मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी चिकित्सा शामिल नहीं होती।
- किसी इलाज के लिए क्लेम करना, जो पॉलिसी में शामिल नहीं है, स्वाभाविक रूप से रिजेक्ट हो जाएगा।
समाधान:
- पॉलिसी डॉक्यूमेंट में स्पष्ट लिखा होता है कि कौन-से इलाज कवर हैं और कौन-से नहीं।
- इलाज शुरू करने से पहले बीमा कंपनी से पुष्टि जरूर करें।
6. कैशलेस क्लेम में प्री-अप्रूवल न लेना
समस्या:
अगर आप प्लान्ड सर्जरी करवा रहे हैं और आपने बीमा कंपनी को समय पर सूचित नहीं किया, तो आपका कैशलेस क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।
समाधान:
- इलाज से 48-72 घंटे पहले TPA या बीमा कंपनी को सूचित करें।
- अस्पताल के बीमा डेस्क से सहायता लें।
- जरूरी फॉर्म और डॉक्यूमेंट भरकर कंपनी को भेजें।
7. गलत जानकारी देना या धोखाधड़ी की कोशिश
उदाहरण:
- झूठी बीमारी दिखाना,
- फर्जी मेडिकल बिल लगाना,
- नॉन-हॉस्पिटलाइजेशन इलाज को हॉस्पिटलाइजेशन दिखाना।
नतीजा:
बीमा कंपनियां ऐसे मामलों में क्लेम तो रिजेक्ट करती ही हैं, साथ ही भविष्य के लिए पॉलिसी भी कैंसल कर सकती हैं।
समाधान:
- हमेशा ईमानदारी से जानकारी दें।
- किसी भी प्रकार की फर्जी जानकारी से बचें।
- सभी बिल और डॉक्युमेंट प्रमाणिक रखें।
8. नेटवर्क अस्पताल से इलाज न कराना
समस्या:
कैशलेस क्लेम केवल कंपनी के नेटवर्क अस्पतालों में ही मिलता है। अगर आप गैर-नेटवर्क अस्पताल में इलाज करवाते हैं, तो आपको पहले खर्च करना पड़ता है और फिर रिइम्बर्समेंट क्लेम करना होता है।
समाधान:
- कंपनी की वेबसाइट या ऐप से नेटवर्क अस्पतालों की सूची देखें।
- इमरजेंसी में भी अस्पताल चुनते समय बीमा नेटवर्क का ध्यान रखें।
हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट होने के बाद क्या करें?
अगर आपके सभी प्रयासों के बाद भी क्लेम रिजेक्ट हो जाता है, तो घबराएं नहीं। आप इन उपायों को आजमा सकते हैं:
1. बीमा कंपनी से लिखित में कारण पूछें:
क्लेम रिजेक्शन के बाद कंपनी आपको कारण बताने की बाध्य है।
2. समीक्षा की मांग करें:
अगर आपको लगता है कि रिजेक्शन गलत है, तो आप कंपनी से पुनः विचार करने की मांग कर सकते हैं।
3. बीमा लोकपाल (Insurance Ombudsman) से शिकायत:
- अगर आपकी समस्या 30 दिनों में हल नहीं होती,
- या आप कंपनी के उत्तर से संतुष्ट नहीं हैं,
तो आप बीमा लोकपाल के पास ऑनलाइन या ऑफलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय किन बातों का रखें ध्यान?
- विश्वसनीय बीमा कंपनी का चुनाव करें।
- क्लेम सेटलमेंट रेशियो जांचें।
- प्रीमियम के बजाय कवरेज पर फोकस करें।
- Co-payment और Sub-limit की शर्तें समझें।
- क्लेम प्रक्रिया सरल और तेज हो यह सुनिश्चित करें।
निष्कर्ष: सतर्कता ही सुरक्षा है
हेल्थ इंश्योरेंस सिर्फ एक दस्तावेज नहीं है, यह आपकी और आपके परिवार की सुरक्षा का आधार है। लेकिन सही समय पर क्लेम तभी पास होगा जब आपने शुरुआत से ही सही जानकारी दी हो, दस्तावेज तैयार रखे हों और पॉलिसी की सभी शर्तों को समझा हो।
इसलिए अगली बार जब आप हेल्थ इंश्योरेंस खरीदें या क्लेम करें, तो ऊपर बताए गए सभी बिंदुओं पर ध्यान दें। हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट होने के कारण अब आपके लिए एक रहस्य नहीं बल्कि एक सीखी गई समझदारी बन जाएगी।