इनकम टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स: ये दो उपाय रिटर्न में सभी को पछाड़ते हैं, जानिए पूरी जानकारी

हर वेतनभोगी व्यक्ति या व्यापारी की एक सामान्य चिंता होती है – “कैसे कम से कम टैक्स दें और अधिक से अधिक रिटर्न पाएं?” इसके लिए सरकार ने कुछ ऐसे उपकरण (इनकम टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स) उपलब्ध कराए हैं, जो न केवल टैक्स बचाते हैं, बल्कि निवेश के दृष्टिकोण से शानदार रिटर्न भी देते हैं।

इन विकल्पों में दो सबसे प्रमुख नाम हैं – ईएलएसएस (ELSS) और एनपीएस (NPS)। इन दोनों ने पिछले कुछ वर्षों में न सिर्फ टैक्स सेविंग टूल्स के रूप में भरोसा कायम किया है, बल्कि रिटर्न के मामले में भी कई अन्य निवेश साधनों को पीछे छोड़ दिया है।

क्या होते हैं इनकम टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स?

इनकम टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स वो वित्तीय साधन होते हैं जिनके माध्यम से आप अपनी कुल आय पर लगने वाले टैक्स को कम कर सकते हैं। भारत सरकार की आयकर अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत कुछ विशेष निवेशों पर टैक्स में छूट दी जाती है। इनका उद्देश्य नागरिकों को निवेश के लिए प्रोत्साहित करना और लंबी अवधि की वित्तीय स्थिरता प्रदान करना होता है।

अब जानते हैं ऐसे दो प्रमुख इनकम टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स के बारे में जो रिटर्न में सबको पीछे छोड़ रहे हैं:

1. ईएलएसएस (ELSS) – इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम

क्या है ELSS?

ईएलएसएस एक म्यूचुअल फंड योजना है जो आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत टैक्स छूट देती है। इस स्कीम के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति या हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट प्राप्त कर सकता है। ELSS स्कीम्स में निवेश करते समय एक 3 साल की लॉक-इन अवधि होती है। यानी, निवेश करने के बाद तीन वर्षों तक आप इस राशि को नहीं निकाल सकते।

ELSS के लाभ

  • टैक्स बचत: ELSS में किए गए निवेश पर ₹1.5 लाख तक की टैक्स छूट उपलब्ध है।
  • कम लॉक-इन अवधि: अन्य टैक्स सेविंग स्कीम्स की तुलना में ELSS में केवल 3 साल की लॉक-इन होती है। पीपीएफ और एनएससी जैसे विकल्पों में यह अवधि 5 से 15 साल तक होती है।
  • बेहतर रिटर्न की संभावना: ELSS स्कीम का अधिकतर हिस्सा इक्विटी मार्केट में निवेश होता है, जिससे लंबी अवधि में उच्च रिटर्न की संभावना रहती है।
  • SIP विकल्प: निवेशक एकमुश्त (Lump Sum) या SIP (Systematic Investment Plan) के माध्यम से ELSS में निवेश कर सकते हैं।

ELSS में निवेश कैसे करें?

  • आप किसी भी म्यूचुअल फंड हाउस की वेबसाइट, AMFI से रजिस्टर्ड एजेंट या मोबाइल ऐप्स के माध्यम से ELSS स्कीम में निवेश कर सकते हैं।
  • SIP की मदद से आप हर महीने छोटी राशि से भी निवेश शुरू कर सकते हैं।

ELSS में मिलने वाला रिटर्न

पिछले कुछ वर्षों के आँकड़ों पर नजर डालें, तो ELSS स्कीम्स ने 16% से 23% तक का सालाना चक्रवृद्धि रिटर्न (CAGR) दिया है। यह रिटर्न पारंपरिक बचत योजनाओं की तुलना में कहीं अधिक है।

उदाहरण के लिए, यदि आप हर महीने ₹5,000 की SIP करते हैं और सालाना 18% का रिटर्न मिलता है, तो 10 वर्षों में आपकी कुल निवेश राशि ₹6 लाख हो जाएगी, लेकिन आपको मिलने वाला अनुमानित रिटर्न ₹15 लाख से अधिक हो सकता है।

2. एनपीएस (NPS) – नेशनल पेंशन स्कीम

क्या है NPS?

एनपीएस एक सरकारी पेंशन योजना है जिसे PFRDA (Pension Fund Regulatory and Development Authority) द्वारा संचालित किया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। NPS में निवेश करने पर आयकर अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत टैक्स छूट मिलती है।

NPS में कौन निवेश कर सकता है?

  • कोई भी भारतीय नागरिक जिसकी आयु 18 से 70 वर्ष के बीच है, वह NPS में खाता खोल सकता है।
  • NPS खाता खोलने के लिए आपको आधार और पैन कार्ड की आवश्यकता होती है।

NPS में टैक्स छूट

  • धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की टैक्स छूट।
  • धारा 80CCD(1B) के तहत अतिरिक्त ₹50,000 की टैक्स छूट।
  • कुल मिलाकर आप ₹2 लाख तक की टैक्स छूट प्राप्त कर सकते हैं।
  • इसके अलावा, यदि आपका नियोक्ता NPS में योगदान करता है, तो वह भी धारा 80CCD(2) के तहत टैक्स छूट योग्य होता है।

NPS में निवेश का ढांचा

  • NPS में निवेशक के पास दो प्रकार के खाते होते हैं – Tier 1 और Tier 2
  • Tier 1 खाता अनिवार्य और टैक्स लाभ वाला खाता होता है। इसमें 60 साल की उम्र तक पैसे नहीं निकाले जा सकते।
  • Tier 2 खाता वैकल्पिक होता है और इसमें कोई टैक्स छूट नहीं मिलती, लेकिन लिक्विडिटी अधिक होती है।

NPS का रिटर्न

एनपीएस में निवेश की गई राशि को सरकारी और निजी फंड मैनेजरों द्वारा एक निर्धारित अनुपात में विभिन्न परिसंपत्तियों (जैसे इक्विटी, कॉर्पोरेट बॉन्ड, सरकारी बॉन्ड आदि) में लगाया जाता है। हालिया आँकड़ों के अनुसार, NPS ने सालाना 9% से 14% तक का रिटर्न दिया है।

NPS क्यों है फायदेमंद?

  • रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए सर्वश्रेष्ठ: एनपीएस में नियमित निवेश आपको रिटायरमेंट के समय एक बड़ा कोष देता है।
  • सरकार द्वारा समर्थित: यह स्कीम PFRDA द्वारा विनियमित है, जिससे इसकी सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित होती है।
  • कम लागत: NPS में निवेश करने पर अन्य म्यूचुअल फंड की तुलना में कम प्रबंधन शुल्क लगता है।
  • ऑटो चॉइस और एक्टिव चॉइस: निवेशक अपनी संपत्ति को स्वयं मैनेज कर सकते हैं या फंड मैनेजर को चुन सकते हैं।

ELSS और NPS में क्या है अंतर?

विशेषताELSSNPS
टैक्स छूट₹1.5 लाख (80C)₹2 लाख (80C + 80CCD)
लॉक-इन अवधि3 वर्षरिटायरमेंट तक (60 वर्ष)
रिटर्न की संभावनाउच्च (16-23%)मध्यम से उच्च (9-14%)
लिक्विडिटीमध्यमकम
जोखिमउच्च (इक्विटी आधारित)नियंत्रित (मिक्स्ड एसेट क्लास)

कौन सा विकल्प है आपके लिए बेहतर?

  • यदि आप कम अवधि के निवेश के साथ अधिक रिटर्न की चाह रखते हैं, तो ELSS आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है।
  • यदि आप लंबी अवधि के लिए रिटायरमेंट फंड बनाना चाहते हैं और साथ में टैक्स भी बचाना चाहते हैं, तो NPS एक बढ़िया विकल्प है।
  • दोनों में एक साथ निवेश करने से आप ₹2 लाख तक की टैक्स छूट के साथ-साथ रिटर्न का भी लाभ उठा सकते हैं।

निष्कर्ष: निवेश कीजिए समझदारी से

टैक्स बचाने के साथ-साथ अधिक रिटर्न कमाना हर समझदार निवेशक की प्राथमिकता होती है। ELSS और NPS जैसे इनकम टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स इस लक्ष्य को पूरा करने में आपकी मदद कर सकते हैं। आप अपनी उम्र, जोखिम लेने की क्षमता और निवेश की अवधि के अनुसार इन विकल्पों को चुन सकते हैं।

इन दोनों इंस्ट्रूमेंट्स ने पिछले वर्षों में यह साबित किया है कि ये न सिर्फ टैक्स बचाने के अच्छे उपाय हैं, बल्कि रिटर्न के मामले में भी शानदार प्रदर्शन करते हैं।

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