भारतीय आयकर विभाग यानी सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म-2 (ITR-2) को जारी कर दिया है। यह फॉर्म उन सभी टैक्सपेयर्स के लिए खासतौर पर जरूरी हो गया है जिनकी आय सैलरी के अलावा अन्य स्रोतों से भी होती है। अगर आपकी इनकम सैलरी के साथ-साथ प्रॉपर्टी, शेयर, पेंशन या निवेश से हो रही है तो आपको ITR-2 फॉर्म के जरिए ही अपना टैक्स रिटर्न फाइल करना होगा।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि ITR-2 फॉर्म क्या है, इसे कौन-कौन से टैक्सपेयर्स को भरना चाहिए, इस बार इसमें क्या बदलाव किए गए हैं और इसके साथ जुड़े अन्य महत्वपूर्ण नियम क्या हैं।
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ITR-2 फॉर्म क्या है?
ITR-2 एक ऐसा इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म है जो उन व्यक्तियों के लिए बनाया गया है जिनकी आय स्रोत सिर्फ सैलरी तक सीमित नहीं होती। यह फॉर्म उन लोगों के लिए है जिनकी आय में प्रॉपर्टी से किराया, कैपिटल गेन (जैसे प्रॉपर्टी या शेयर बेचने से लाभ), पेंशन या विदेशी स्रोतों से आय शामिल होती है।
आसान शब्दों में कहें तो, यदि आपकी सैलरी के अलावा आपकी कोई संपत्ति है, या आप निवेश करते हैं, या पेंशन प्राप्त करते हैं, तो आपको ITR-2 फॉर्म भरना अनिवार्य होता है।
सैलरी वाले भी ध्यान दें — क्यों ITR-2 जरूरी है?
परंपरागत तौर पर, ज्यादातर सैलरी पाने वाले कर्मचारी और पेंशनर ITR-1 (साधारण फॉर्म) भरते थे। लेकिन अगर आपकी इनकम सैलरी के अलावा अन्य स्रोतों से भी हो रही है, तो अब आपको ITR-2 फॉर्म भरना पड़ेगा।
किन परिस्थितियों में सैलरी वालों को ITR-2 भरना जरूरी होगा?
- अगर आपकी सैलरी के साथ-साथ आपकी दो या उससे अधिक प्रॉपर्टी हैं।
- अगर आपने इक्विटी शेयर या म्यूचुअल फंड में निवेश किया है।
- अगर आपकी कुल आय 50 लाख रुपये से अधिक है।
- अगर आपकी कोई संपत्ति भारत के बाहर भी है।
- अगर आपने किसी भी प्रकार का कैपिटल गेन (शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म) अर्जित किया है, जैसे कि प्रॉपर्टी, शेयर या अन्य निवेशों को बेचकर।
इन मामलों में ITR-1 की जगह ITR-2 फॉर्म भरना आवश्यक होता है।
इस बार ITR-2 में क्या बदलाव हुए हैं?
CBDT ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ITR-2 फॉर्म में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जो टैक्सपेयर्स के लिए राहत देने वाले भी हैं और कुछ मामलों में अतिरिक्त जिम्मेदारी भी लेकर आए हैं।
1. एसेट और लायबिलिटी की जानकारी देने का नियम बदला
पहले, अगर किसी व्यक्ति की कुल आय 50 लाख रुपये से ज्यादा होती थी, तो उसे अपनी संपत्ति (एसेट) और देनदारियों (लायबिलिटी) की जानकारी देनी होती थी। अब नए नियम के अनुसार, यह विवरण तभी देना होगा जब कुल आय 1 करोड़ रुपये से ज्यादा हो।
मतलब: जिन लोगों की आय 50 लाख से 1 करोड़ रुपये के बीच है, उन्हें अपनी संपत्ति और लायबिलिटी की जानकारी देने से राहत मिल गई है।
2. TDS की जानकारी में बदलाव
पहले, टैक्सपेयर्स को केवल TDS काटने वाली कंपनी और काटी गई रकम की जानकारी देनी होती थी। नए ITR-2 में यह नियम और सख्त हो गया है। अब आपको यह भी बताना होगा कि TDS किस धारा (सेक्शन) के तहत काटा गया है, जैसे कि 194C (कॉन्ट्रैक्ट), 194J (फीस), आदि।
3. कैपिटल गेन (CG) से जुड़ी नई शर्तें
कैपिटल गेन से संबंधित लेनदेन को शेड्यूल CG में भरना होता है। अब आपको यह भी बताना होगा कि जिस संपत्ति के ट्रांसफर से कैपिटल गेन या नुकसान हुआ, वह ट्रांसफर 23 जुलाई, 2024 से पहले हुआ या बाद में।
4. विदेशी संपत्ति और आय की जानकारी देना जरूरी
विदेशी संपत्ति (जैसे विदेश में जमीन, मकान, बैंक बैलेंस) रखने वाले टैक्सपेयर्स को अब ITR-2 में शेड्यूल FA (विदेशी संपत्ति) और FSI (विदेशी स्रोत से आय) भरनी होगी।
5. वर्चुअल डिजिटल एसेट्स की जानकारी
यदि आपने किसी डिजिटल एसेट जैसे क्रिप्टोकरेंसी, NFT आदि में लेनदेन किया है, तो उसे शेड्यूल VDA में भरना होगा। इस प्रकार की आय पर 30% टैक्स लागू होता है (सेक्शन 115BBH के तहत)।
6. हाई-वैल्यू लेनदेन के लिए LEI (लीगल एंटिटी आइडेंटिफायर)
कुछ उच्च मूल्य के वित्तीय लेनदेन में लीगल एंटिटी आइडेंटिफायर की जानकारी देना अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे वित्तीय लेनदेन की पारदर्शिता बढ़ाई जा सके।
कौन-कौन से टैक्सपेयर्स को ITR-2 फॉर्म भरना चाहिए?
नीचे दिए गए बिंदुओं से आप यह समझ सकते हैं कि आप ITR-2 भरने वाले श्रेणी में आते हैं या नहीं।
- सैलरी के साथ शेयर, म्यूचुअल फंड, प्रॉपर्टी से भी आय हो।
- यदि आपकी कुल आय 50 लाख रुपये से ऊपर हो।
- भारत या विदेश में आपकी कोई संपत्ति हो।
- आपने कोई कैपिटल एसेट बेचा हो, जिससे लॉन्ग-टर्म या शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन या नुकसान हुआ हो।
- आप पेंशन प्राप्त करते हों।
- आपने डिजिटल एसेट्स में निवेश किया हो।
यदि इनमें से कोई भी शर्त आपके ऊपर लागू होती है, तो ITR-2 फॉर्म भरना अनिवार्य है।
ITR-2 फॉर्म कैसे भरें? आसान स्टेप्स में जानें
ITR-2 फॉर्म को भरना कुछ ज्यादा जटिल लग सकता है क्योंकि इसमें कई विवरण देना पड़ता है, लेकिन इसे सही तरीके से भरना और समय पर फाइल करना बहुत जरूरी है।
1. आवश्यक दस्तावेज़ एकत्र करें
- सैलरी स्लिप या Form 16
- बैंक स्टेटमेंट
- प्रॉपर्टी के दस्तावेज़
- शेयर, म्यूचुअल फंड के निवेश और विक्रय दस्तावेज़
- विदेशी संपत्ति से संबंधित कागजात
- TDS प्रमाण पत्र
- डिजिटल एसेट्स के लेनदेन के रिकॉर्ड
2. आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं
इंडियन इनकम टैक्स विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ITR-2 फॉर्म डाउनलोड करें या ऑनलाइन फाइलिंग पोर्टल पर लॉगिन करें।
3. फॉर्म भरना शुरू करें
- व्यक्तिगत जानकारी सही-सही भरें।
- आय के सभी स्रोतों की जानकारी दें।
- प्रॉपर्टी, शेयर, पेंशन और अन्य निवेश की डिटेल भरें।
- TDS और टैक्स भुगतान की जानकारी भरें।
- विदेशी संपत्ति और आय की जानकारी दें।
- डिजिटल एसेट्स का विवरण भरें।
4. कैपिटल गेन और नुकसान की सही जानकारी भरें
- यह जांचें कि ट्रांसफर की तारीख 23 जुलाई, 2024 से पहले है या बाद में।
- लॉन्ग-टर्म और शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन/लॉस सही दर्ज करें।
5. फॉर्म की समीक्षा करें और सबमिट करें
- सभी डिटेल्स सही भरने के बाद फॉर्म को पुनः जाँचें।
- डिजिटल सिग्नेचर (अगर लागू हो) लगाएं।
- निर्धारित अंतिम तिथि से पहले फॉर्म जमा करें।
ITR-2 फॉर्म न भरने पर क्या हो सकता है?
अगर आप उन लोगों में से हैं जिन्हें ITR-2 फॉर्म भरना जरूरी है लेकिन आपने समय पर या सही तरीके से रिटर्न फाइल नहीं किया, तो आप आयकर विभाग की नजर में आ सकते हैं।
- आपको भारी जुर्माना देना पड़ सकता है।
- आपकी आय का अनुमानित आकलन विभाग कर सकता है, जो आपके लिए नुकसानदेह होगा।
- आगे की वित्तीय और कानूनी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
इसलिए, सैलरी वाले भी ध्यान दें, अगर आपकी इनकम स्रोतों में विविधता है तो ITR-2 भरना आपकी जिम्मेदारी है।
निष्कर्ष
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ITR-2 फॉर्म भारतीय टैक्स सिस्टम में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज बन गया है, खासकर उन सैलरी कर्मचारियों के लिए जिनकी इनकम के स्रोत विविध हैं। प्रॉपर्टी, शेयर, पेंशन, विदेशी संपत्ति और डिजिटल एसेट्स से आय होने पर ITR-2 भरना अनिवार्य है। नए बदलावों के साथ टैक्स रिटर्न भरना थोड़ा और चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन सही जानकारी और तैयारी से आप इसे आसानी से पूरा कर सकते हैं।
हमेशा याद रखें: सैलरी वाले भी ध्यान दें, और अपनी टैक्स जिम्मेदारी को सही समय पर पूरा करें ताकि भविष्य में किसी भी तरह की परेशानी से बचा जा सके।