एजुकेशन लोन: विदेश में पढ़ाई के लिए लोन लेना कितना सही? जानिए फायदे और नुकसान

आज के भारत में विदेश में पढ़ाई करना कई छात्रों और उनके परिवारों का सपना बन चुका है। बेहतर शिक्षा, ग्लोबल एक्सपीरियंस, और बेहतर करियर के अवसर के चलते विदेश में स्टडी करने की चाह दिन-ब-दिन बढ़ रही है। लेकिन जब बात आती है इतने महंगे खर्चों को पूरा करने की, तो ज्यादातर परिवार एजुकेशन लोन का सहारा लेते हैं।

क्या विदेश में पढ़ाई के लिए लोन लेना सही है? इसके क्या फायदे और नुकसान हैं? इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि स्टूडेंट लोन कैसे आपकी पढ़ाई का सपना पूरा कर सकता है, और किन जोखिमों से आपको सावधान रहना चाहिए।

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विदेश में पढ़ाई की बढ़ती डिमांड और एजुकेशन लोन की बढ़ती जरूरत

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2024 के अंत तक लगभग 13.3 लाख भारतीय छात्र विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। CRISIL की रिपोर्ट बताती है कि नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) ने स्टूडेंट लोन सेक्टर में जबरदस्त वृद्धि देखी है। लोन बुक ₹60,000 करोड़ से ऊपर पहुंच चुकी है, जो पिछले साल ₹43,000 करोड़ थी।

विदेश की पढ़ाई महंगी है – ट्यूशन फीस, हॉस्टल, किताबें, जीवन यापन का खर्च, मेडिकल इंश्योरेंस और यात्रा खर्च इसे और अधिक भारी बनाते हैं। इसलिए बहुत से स्टूडेंट और उनके परिवार बिना एजुकेशन लोन के यह खर्च उठाना संभव नहीं समझते।

एजुकेशन लोन के फायदे

1. आसान उपलब्धता और त्वरित प्रोसेसिंग

आज बैंक और NBFCs एजुकेशन लोन के लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा देते हैं। आवश्यक दस्तावेज जमा करने के बाद कुछ ही दिन में लोन अप्रूवल हो जाता है।

2. पढ़ाई पूरी होने के बाद EMI भुगतान में राहत (Moratorium Period)

अधिकांश एजुकेशन लोन में 6 से 12 महीने का मोरेटोरियम पीरियड मिलता है। इसका मतलब है कि आप पढ़ाई पूरी करने के बाद इस अवधि तक EMI नहीं चुकाते। इस दौरान आपको नौकरी पाने और आर्थिक रूप से स्थिर होने का मौका मिलता है।

3. क्रेडिट स्कोर सुधारने में मदद

समय पर EMI चुकाने से आपका क्रेडिट स्कोर बेहतर होता है, जिससे भविष्य में होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन लेना आसान हो जाता है।

4. फ्लेक्सिबल EMI विकल्प

आज कई बैंक और NBFC इनकम के अनुसार EMI राशि कम या ज्यादा करने की सुविधा देते हैं। इससे वित्तीय दबाव कम होता है।

5. पूरे खर्च को कवर करता है

स्टूडेंट लोन में केवल ट्यूशन फीस ही नहीं, बल्कि हॉस्टल फीस, किताबें, यात्रा और मेडिकल खर्च भी शामिल होते हैं। यह व्यापक फाइनेंसिंग सपोर्ट प्रदान करता है।

एजुकेशन लोन के नुकसान

1. बड़ा कर्ज और लंबी अवधि तक भुगतान

20-25 वर्ष की उम्र में इतना भारी कर्ज लेना मानसिक और आर्थिक रूप से बोझिल हो सकता है। कई बार पढ़ाई पूरी होने के बाद भी EMI चुकाने का तनाव बना रहता है।

2. ब्याज दर का असर

अगर EMI समय से न चुकाएं, तो ब्याज की राशि बढ़ती रहती है। खराब क्रेडिट हिस्ट्री के कारण ब्याज दरें और भी अधिक हो सकती हैं।

3. नौकरी न मिलने या सैलरी कम होने का जोखिम

विदेश में पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी न मिलने या कम सैलरी मिलने पर EMI चुकाना मुश्किल हो सकता है, जिससे डिफॉल्ट का खतरा बढ़ जाता है।

4. मानसिक तनाव और वित्तीय दबाव

लगातार EMI चुकाने की जिम्मेदारी तनाव और चिंता का कारण बन सकती है। खासकर जब जॉब या सैलरी स्थिर न हो।

5. क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव

अगर आप लोन चुकाने में असफल रहते हैं तो आपका क्रेडिट स्कोर गिर जाता है, जो भविष्य में अन्य लोन प्राप्त करना मुश्किल बना देता है।

एजुकेशन लोन लेने से पहले किन बातों का ध्यान रखें?

1. अपनी आर्थिक स्थिति और आय का आकलन करें

EMI का बोझ आपकी मासिक आय के 30-40% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इससे ज्यादा लोन लेने पर वित्तीय संकट हो सकता है।

2. लोन की शर्तें और ब्याज दरों को समझें

हर बैंक की ब्याज दर, प्रोसेसिंग फीस, मोरेटोरियम पीरियड और चुकाने की शर्तें अलग-अलग होती हैं। सभी को ध्यान से पढ़ें।

3. जॉब की संभावनाओं पर ध्यान दें

विदेश में पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी मिलने के अवसर कितने हैं, इसकी जानकारी लें। खासकर जिस कोर्स या यूनिवर्सिटी में आप पढ़ना चाहते हैं, उसकी औसत जॉब प्लेसमेंट पर रिसर्च करें।

4. इमरजेंसी फंड बनाएं

पढ़ाई के दौरान और बाद में इमरजेंसी खर्चों के लिए फंड रखें, ताकि EMI चुकाने में दिक्कत न हो।

5. परिवार की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखें

अगर परिवार की आय स्थिर नहीं है या अन्य कर्ज चल रहे हैं, तो लोन लेने से पहले आर्थिक सलाहकार से चर्चा करें।

एजुकेशन लोन लेने का सही तरीका

  • लोन की तुलना करें: कम ब्याज दर और बेहतर सुविधा देने वाले बैंक/NBFC का चयन करें।
  • अपने बजट के अनुसार लोन लें: जरूरत से ज्यादा लोन लेने से बचें।
  • EMI का प्रबंध पहले से करें: नौकरी मिलने के बाद EMI आसानी से चुकाई जा सके, इस हिसाब से योजना बनाएं।
  • मोराटोरियम अवधि का लाभ लें: जब तक पढ़ाई चल रही है, EMI न भरने का फायदा उठाएं।

निष्कर्ष: विदेश में पढ़ाई के लिए एजुकेशन लोन लेना चाहिए या नहीं?

विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करना बहुत बड़ा निवेश होता है। एजुकेशन लोन इस सपने को पूरा करने में मददगार साबित हो सकता है, लेकिन इसके लिए सही योजना और समझदारी जरूरी है।

अगर आप लोन लेने से पहले अपनी आर्थिक स्थिति, नौकरी संभावनाओं और लोन की शर्तों को अच्छी तरह समझ लें, तो एजुकेशन लोन आपके लिए फायदे का सौदा हो सकता है। लेकिन बिना प्लानिंग के लोन लेना भविष्य में कर्ज के बोझ और आर्थिक तनाव की वजह बन सकता है।

इसलिए विदेश में पढ़ाई के लिए एजुकेशन लोन लें, लेकिन सोच-समझकर, पूरी जानकारी लेकर और बजट के मुताबिक। अपने सपनों को पूरा करने का तरीका सही चुने, ताकि आपकी पढ़ाई के बाद आर्थिक आज़ादी भी बनी रहे।

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