भारत में आज भी चेक का इस्तेमाल लेन-देन के एक सुरक्षित और कानूनी दस्तावेज़ के रूप में होता है। लेकिन जब यह चेक बाउंस हो जाता है, तो यह एक गंभीर कानूनी मामला बन जाता है। क्या आपने कभी सोचा है कि अगर किसी को आपने चेक दिया और वह बाउंस हो गया, तो क्या होगा? क्या सीधा जेल जाना पड़ सकता है? या बस कुछ फाइन देकर मामला खत्म हो जाएगा?
इस ब्लॉग पोस्ट में हम विस्तार से जानेंगे कि What Happens If a Cheque Bounces in India? Jail or Fine? | Cheque Bounce Ho Gaya? इसका कानूनी, वित्तीय और वास्तविक जीवन में क्या असर पड़ता है।
Contents
- 1 चेक बाउंस क्या होता है?
- 2 चेक बाउंस होने पर कौन-कौन सी कानूनी धाराएं लागू होती हैं?
- 3 चेक बाउंस होने पर क्या-क्या कार्रवाई होती है?
- 4 कोर्ट में केस करने के लिए किन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है?
- 5 कोर्ट द्वारा दी जाने वाली सजा क्या हो सकती है?
- 6 क्या चेक बाउंस पर सिविल केस भी किया जा सकता है?
- 7 कैसे बचें चेक बाउंस की कानूनी कार्रवाई से?
- 8 चेक बाउंस से संबंधित कुछ सामान्य प्रश्न
- 9 चेक बाउंस होने पर वित्तीय असर
- 10 निष्कर्ष: Cheque Bounce Ho Gaya? अब क्या करें?
- 11 सुझाव
चेक बाउंस क्या होता है?
चेक बाउंस होना तब माना जाता है जब किसी बैंक द्वारा चेक को क्लियर करने से इनकार कर दिया जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं, लेकिन सबसे आम कारण है – खाते में अपर्याप्त राशि होना।
चेक बाउंस के मुख्य कारण:
- अपर्याप्त बैलेंस (Insufficient Balance): जब खाते में उतने पैसे नहीं होते जितने का चेक है।
- सिग्नेचर मिसमैच या अधूरा सिग्नेचर: जब साइन मेल नहीं खाते या किए ही नहीं गए।
- ओवरराइटिंग: चेक पर काट-छांट या दोबारा लिखा गया हो।
- खाता बंद होना: जब अकाउंट बंद हो चुका हो लेकिन पुराने चेक का उपयोग किया गया हो।
बैंक जब किसी चेक को रिटर्न करता है, तो उसके साथ एक चेक रिटर्न मेमो (Cheque Return Memo) भी जारी करता है जिसमें बाउंस का कारण लिखा होता है।
चेक बाउंस होने पर कौन-कौन सी कानूनी धाराएं लागू होती हैं?
भारत में चेक बाउंस से संबंधित कानून नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत आता है। इसके तहत चेक बाउंस को एक दंडनीय अपराध (Criminal Offense) माना जाता है।
चेक बाउंस होने पर क्या-क्या कार्रवाई होती है?
Step 1: लीगल नोटिस भेजना
अगर किसी व्यक्ति का चेक बाउंस हो जाता है, तो चेक प्राप्त करने वाला व्यक्ति 30 दिनों के भीतर एक कानूनी नोटिस भेज सकता है।
इस नोटिस में यह मांग की जाती है कि चेक की राशि 15 दिनों के अंदर वापस की जाए।
Step 2: कोर्ट में केस दर्ज करना
अगर नोटिस भेजने के 15 दिनों के अंदर पैसा वापस नहीं किया जाता, तो उसके बाद 30 दिनों के भीतर मजिस्ट्रेट कोर्ट में केस दर्ज किया जा सकता है।
इसका मतलब यह है कि कुल मिलाकर चेक बाउंस की तारीख से 75 दिन का समय होता है कानूनी कार्रवाई के लिए।
कोर्ट में केस करने के लिए किन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है?
- चेक की फोटो कॉपी (Xerox या स्कैन)
- बैंक द्वारा जारी किया गया चेक रिटर्न मेमो
- भेजे गए लीगल नोटिस की कॉपी
- नोटिस भेजने के प्रमाण (स्पीड पोस्ट/कूरियर रसीद)
- नोटिस प्राप्त करने वाले की डिलीवरी रिपोर्ट
कोर्ट द्वारा दी जाने वाली सजा क्या हो सकती है?
अगर कोर्ट यह मान लेता है कि चेक देने वाला व्यक्ति दोषी है, तो उसे निम्नलिखित सजा दी जा सकती है:
- अधिकतम 2 साल की जेल, या
- चेक की राशि का दुगना जुर्माना, या
- दोनों एक साथ
हालांकि ज्यादातर मामलों में कोर्ट पहले जुर्माना वसूली का विकल्प देता है और यदि आरोपी भुगतान करने से इनकार करता है, तभी जेल की सजा दी जाती है।
क्या चेक बाउंस पर सिविल केस भी किया जा सकता है?
जी हां। अगर किसी व्यक्ति से पैसा लेना बाकी है और उसका दिया गया चेक बाउंस हो जाता है, तो पीड़ित व्यक्ति एक साथ क्रिमिनल केस (धारा 138 के तहत) और सिविल केस (धारा 420 या ऋण वसूली के लिए) भी दर्ज कर सकता है।
सिविल केस में आपको भुगतान की मांग के साथ कोर्ट में दावा करना होता है, जबकि क्रिमिनल केस में सजा और जुर्माने की मांग होती है।
कैसे बचें चेक बाउंस की कानूनी कार्रवाई से?
अगर आप चेक देने वाले हैं:
- हमेशा यह सुनिश्चित करें कि खाते में पर्याप्त राशि हो।
- भविष्य की तारीख का चेक तभी दें जब आपको पूरा भरोसा हो कि उस दिन तक राशि उपलब्ध होगी।
- चेक पर स्पष्ट और सही सिग्नेचर करें।
- ओवरराइटिंग और कटिंग से बचें।
अगर आप चेक प्राप्त करने वाले हैं:
- चेक पर अंकित तिथि को ध्यान से देखें।
- चेक प्राप्ति के 90 दिनों के भीतर उसे बैंक में जमा करें।
- अगर चेक बाउंस हो जाए तो तुरंत बैंक से रिटर्न मेमो लें।
- 30 दिनों के अंदर लीगल नोटिस भेजें।
चेक बाउंस से संबंधित कुछ सामान्य प्रश्न
1. अगर चेक बाउंस हो जाए तो क्या तुरंत एफआईआर दर्ज हो सकती है?
नहीं, यह एक नॉन-कॉग्निजेबल अपराध है, यानी बिना कोर्ट के आदेश के पुलिस सीधे एफआईआर दर्ज नहीं कर सकती। सबसे पहले आपको मजिस्ट्रेट कोर्ट में केस दर्ज करना होता है।
2. क्या यह अपराध जमानती है?
हां, चेक बाउंस का अपराध जमानती होता है, यानी आरोपी को कोर्ट में हाजिर होकर बेल मिल सकती है।
3. क्या समझौते के बाद केस बंद हो सकता है?
जी हां, अगर दोनों पक्ष आपसी सहमति से मामला सुलझा लेते हैं और चेक देने वाला राशि चुका देता है, तो कोर्ट में केस वापसी का आवेदन देकर केस बंद करवाया जा सकता है।
चेक बाउंस होने पर वित्तीय असर
- आपका क्रेडिट स्कोर प्रभावित हो सकता है।
- बैंक द्वारा चेक बाउंस चार्जेस (₹150–₹500) लग सकते हैं।
- आपकी विश्वसनीयता और कारोबारी छवि को नुकसान पहुंचता है।
- बार-बार चेक बाउंस होने पर बैंक आपका अकाउंट बंद भी कर सकता है।
निष्कर्ष: Cheque Bounce Ho Gaya? अब क्या करें?
What Happens If a Cheque Bounces in India? Jail or Fine? | Cheque Bounce Ho Gaya? यह सवाल बहुत ही गंभीर है क्योंकि यह सिर्फ पैसे की बात नहीं है, बल्कि कानूनी कार्रवाई की शुरुआत हो सकती है।
अगर आप चेक जारी करने वाले हैं, तो कभी भी बिना तैयारी के चेक न दें। और अगर आप चेक प्राप्त कर रहे हैं, तो चेक को समय पर बैंक में लगाएं और बाउंस होने की स्थिति में तुरंत कानूनी कार्रवाई करें।
सुझाव
- लेन-देन में डिजिटल माध्यमों जैसे UPI, NEFT, IMPS का अधिक प्रयोग करें।
- यदि चेक देना ही है, तो साथ में लिखित एग्रीमेंट बनवाएं।
- चेक बाउंस से बचने के लिए स्वचालित भुगतान विकल्पों का उपयोग करें।