Big News | अब Property को सिर्फ Gift Deed से Transfer नहीं किया जा सकता | जानिए नया नियम और टैक्स का पूरा गणित

भारत में प्रॉपर्टी ट्रांसफर से जुड़े नियमों को लेकर हाल ही में एक बड़ा अपडेट सामने आया है। अब सिर्फ गिफ्ट डीड (Gift Deed) बनवाकर संपत्ति ट्रांसफर करना पहले जितना आसान नहीं रहा। यदि आपने भी अपने परिवार के किसी सदस्य को लैंड, बिल्डिंग, ज्वेलरी या कोई अन्य संपत्ति गिफ्ट करने की योजना बनाई है, तो यह लेख आपके लिए बेहद जरूरी है।

इस लेख में हम समझेंगे कि गिफ्ट डीड का सही तरीका क्या है, किन परिस्थितियों में इसे टैक्स फ्री माना जाएगा, और कौन-कौन सी गलतियां भारी टैक्स और कानूनी कार्रवाई का कारण बन सकती हैं।

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गिफ्ट डीड क्या होती है?

गिफ्ट डीड एक कानूनी दस्तावेज होता है जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति (Donor) अपनी चल या अचल संपत्ति को किसी अन्य व्यक्ति (Donee) को मुफ्त में ट्रांसफर करता है, बिना किसी लेन-देन के।

गिफ्ट डीड के जरिए कैश, ज्वेलरी, एफडी, वाहन, जमीन, फ्लैट, दुकान आदि ट्रांसफर किए जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए कुछ कानूनी प्रक्रियाएं और टैक्स नियमों का पालन करना अनिवार्य है।

क्या गिफ्ट डीड को नोटरी कराना पर्याप्त है?

यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस प्रकार की संपत्ति गिफ्ट कर रहे हैं:

1. मूवेबल प्रॉपर्टी (Movable Property):

  • इसमें आता है: कैश, एफडी, ज्वेलरी, वाहन, शेयर्स, फर्नीचर आदि।
  • ₹100 के स्टांप पेपर पर एक लिखित गिफ्ट डीड बनाकर नोटरी करा सकते हैं।
  • यह प्रक्रिया सरल और कम खर्चीली होती है।
  • वाहन के मामले में RTO में आरसी ट्रांसफर कराना जरूरी होगा।

2. इमूवेबल प्रॉपर्टी (Immovable Property):

  • जैसे: जमीन, फ्लैट, शॉप, कमर्शियल बिल्डिंग, खेत आदि।
  • ऐसी संपत्तियों के लिए रजिस्टर्ड गिफ्ट डीड बनाना अनिवार्य होता है।
  • यह डीड सब-रजिस्टार ऑफिस में रजिस्टर्ड होती है।
  • स्टांप ड्यूटी देनी होती है, जो राज्य के अनुसार बदलती है।

रजिस्ट्री और गिफ्ट डीड में क्या है फर्क?

गिफ्ट डीड में कोई मूल्य (Value) नहीं लिखा जाता जबकि रजिस्ट्री (Sale Deed) में बिक्री मूल्य (Sale Consideration) स्पष्ट रूप से दर्ज किया जाता है।

गलत तरीके से गिफ्ट डीड की जगह बिक्री दिखाने से इनकम टैक्स विभाग आपको टैक्स चोरी का आरोपी मान सकता है। उदाहरण से समझते हैं:

दिल्ली का एक रियल केस – जिससे सबक लेना ज़रूरी है

दिल्ली में एक केस सामने आया जहाँ एक महिला (जो अमेरिका में रहती हैं) ने भारत में अपने भाई को एक करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी देने का निर्णय लिया। चूंकि वे दोनों ब्लड रिलेशन में थे, यह गिफ्ट डीड के ज़रिए होना चाहिए था।

लेकिन गलती से उन्होंने रजिस्ट्री करवा दी और पेपर में प्रॉपर्टी की कीमत 25,000 रुपये दर्शाई गई। यह देखते ही इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को शक हुआ और दोनों पर टैक्स चोरी का केस लगा दिया गया।

क्योंकि रजिस्ट्री में रिश्ते का कोई जिक्र नहीं होता, इसलिए AI सिस्टम ने इस डील को सर्कल रेट से कम में संपत्ति बेचने का केस माना। इस गलती से बचने के लिए गिफ्ट डीड ही एकमात्र सही और कानूनी विकल्प था।

गिफ्ट डीड में टैक्स कब लगता है और कब नहीं?

1. ब्लड रिलेशन में गिफ्ट — टैक्स फ्री

  • यदि आपने अपने माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नी, बच्चों या पोते-पोतियों को संपत्ति गिफ्ट की है, तो न तो देने वाले (Donor) को और न ही लेने वाले (Donee) को कोई टैक्स देना होगा।
  • यह सुविधा इनकम टैक्स एक्ट, सेक्शन 56 के तहत मिलती है।

2. नॉन-ब्लड रिलेशन में गिफ्ट — टैक्स देना होगा

  • अगर आपने प्रॉपर्टी अपने दोस्त, गर्लफ्रेंड या किसी अन्य रिश्तेदार को गिफ्ट की है, तो रिसीवर को संपत्ति की मार्केट वैल्यू पर टैक्स देना होगा।
  • ₹50,000 से अधिक मूल्य की संपत्ति गिफ्ट में लेने पर टैक्स देनदारी उत्पन्न होती है।

गिफ्ट डीड की प्रक्रिया — कैसे करें सही तरीका अपनाना

मूवेबल प्रॉपर्टी के लिए:

  1. ₹100 के स्टांप पेपर पर गिफ्ट डीड ड्राफ्ट करें।
  2. डोनर और डोनी की जानकारी सही से भरें।
  3. प्रॉपर्टी का स्पष्ट विवरण दें (जैसे एफडी नंबर, व्हीकल नंबर आदि)।
  4. नोटरी से दस्तावेज की पुष्टि करवाएं।
  5. वाहन आदि के मामले में संबंधित विभाग में नाम ट्रांसफर कराएं।

इमूवेबल प्रॉपर्टी के लिए:

  1. अनुभवी डीड राइटर या वकील की मदद लें।
  2. सब-रजिस्टार कार्यालय में रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है।
  3. गिफ्ट डीड में “Sale Value” की बजाय सिर्फ ट्रांसफर की बात लिखी जाए।
  4. रजिस्ट्रेशन फीस और स्टांप ड्यूटी का भुगतान करें।
  5. ब्लड रिलेशन का प्रमाण जैसे आधार, राशन कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र साथ रखें।

स्टांप ड्यूटी की गणना कैसे होती है?

स्टांप ड्यूटी हर राज्य में अलग होती है। नीचे कुछ राज्यों की ड्यूटी का सामान्य उदाहरण दिया गया है (ब्लड रिलेशन के लिए):

राज्यस्टांप ड्यूटी (%)रजिस्ट्रेशन फीस (%)
दिल्ली₹200 + 1%₹1,000 approx
महाराष्ट्र₹200₹1,000 approx
उत्तर प्रदेश2%₹1,000 approx
राजस्थान1%₹500

नोट: नॉन-ब्लड रिलेशन के लिए स्टांप ड्यूटी अधिक हो सकती है।

गिफ्ट की गई संपत्ति बेचने पर क्या टैक्स लगता है?

गिफ्ट डीड से प्राप्त संपत्ति अगर बाद में बेची जाती है, तो उस पर कैपिटल गेन टैक्स लगेगा।

  • कैपिटल गेन की गणना करते समय संपत्ति की कीमत वही मानी जाएगी जो डोनर के पास थी।
  • जैसे: सास ने बहू को ₹9 लाख की ज्वेलरी गिफ्ट की। बहू ने बाद में बेची। तब कैपिटल गेन टैक्स लगेगा और मूल लागत सास के पास वाली मानी जाएगी।

गलत गिफ्ट डीड या रजिस्ट्री के जोखिम

  1. इनकम टैक्स विभाग टैक्स चोरी का केस बना सकता है।
  2. गिफ्ट रद्द भी की जा सकती है यदि सही प्रक्रिया न अपनाई जाए।
  3. कोर्ट केस और जुर्माने की संभावना।
  4. प्रॉपर्टी ट्रांसफर फेल होने का जोखिम।

कुछ महत्वपूर्ण बातें जो आपको जरूर जाननी चाहिए:

  • गिफ्ट डीड हमेशा बिना शर्त होनी चाहिए।
  • उसमें लिखा होना चाहिए कि यह स्वेच्छा से दी जा रही है, बिना किसी दबाव के।
  • ब्लड रिलेशन का प्रमाण साथ होना चाहिए।
  • डीड रजिस्ट्रेशन के बाद उसकी कॉपी सुरक्षित रखें।

निष्कर्ष — क्या गिफ्ट डीड से प्रॉपर्टी ट्रांसफर करना सही है?

हां, लेकिन सही प्रक्रिया के साथ।

Big News यही है कि अब सिर्फ नाम मात्र की गिफ्ट डीड या गलत रजिस्ट्री कराकर प्रॉपर्टी ट्रांसफर करना भारी नुकसान का कारण बन सकता है। इसलिए ब्लड रिलेशन, टैक्स नियम, स्टांप ड्यूटी और सब-रजिस्टार रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए गिफ्ट डीड बनवाएं।

गलत जानकारी या सलाह के कारण टैक्स विभाग से नोटिस आना, जुर्माना लगना या कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।

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